Bachendri pal short biography in hindi


बछेंद्री पाल

जन्म :24 मई, (उत्तरकाशी, उत्तराखंड)

वर्तमान : &#;टाटा स्टील&#; कंपनी में पर्वतारोहण तथा अन्य साहसिक अभियानों की प्रशिक्षक

कार्यक्षेत्र : माउंट एवरेस्ट पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला

भारत की बछेंद्री पाल संसार की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ पर चढ़ने वाली प्रथम भारतीय महिला हैं.

बछेंद्री पाल संसार के सबसे ऊंचे पर्वत शिखर ‘माउंट एवरेस्ट’ की ऊंचाई को छूने वाली दुनिया की 5वीं महिला पर्वतारोही हैं. इन्होंने यह कारनामा 23 मई, के दिन 1 बजकर 7 मिनट पर किया था.

भारतीय अभियान दल के सदस्य के रूप में माउंट एवरेस्ट पर आरोहण के कुछ ही समय बाद इन्होंने इस शिखर पर चढ़ाई करने वाली महिलाओं की एक टीम के अभियान का सफल नेतृत्व किया.

इसी प्रकार वर्ष में बछेंद्री ने महिलाओं के साथ गंगा नदी में हरिद्वार से कोलकाता तक लगभग 2, किमी लंबे नौका अभियान का नेतृत्व किया. हिमालय के गलियारे में भूटान, नेपाल, लेह और सियाचिन ग्लेशियर से होते हुए कराकोरम पर्वत-श्रृंखला पर समाप्त होने वाला लगभग 4, किमी लंबा अभियान भी इ­नके द्वारा इस दुर्गम क्षेत्र में ‘प्रथम महिला अभियान’ था.

प्रारम्भिक जीवन

बछेंद्री पाल का जन्म 24 मई, को वर्तमान उत्तराखंड (तत्कालीन उत्तर प्रदेश) राज्य के उत्तरकाशी के पहाड़ों की गोद में हुआ था.

उत्तराखंड राज्य के एक ग्रामीण परिवार में जन्मी बछेंद्री पाल ने स्नातक की शिक्षा पूर्ण करने के बाद शिक्षक की नौकरी प्राप्त करने के लिए बी.एड. का प्रशिक्षण प्राप्त किया. इन्हें स्कूल में शिक्षिका बनने के बजाय पेशेवर पर्वतारोही का पेशा अपनाने पर परिवार और रिश्तेदारों के तीव्र विरोध का सामना भी करना पड़ा था.

मेधावी और प्रतिभाशाली होने के बावजूद इनको कोई अच्छा रोज़गार नहीं मिला.

जो मिला वह भी  अस्थायी, जूनियर स्तर का था और वेतन भी बहुत कम था. इससे ये काफी निराशा हुईं और इन्होंने अस्थाई नौकरी करने के बजाय &#;नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग&#; का कोर्स करने के लिये आवेदन कर दिया. यहां से इनके के जीवन को नई दिशा मिली. वर्ष में एडवांस कैम्प के दौरान इन्होंने गंगोत्री (6, मीटर ऊंचाई) और रूदुगैरा (5, मीटर ऊंचाई) की चढ़ाई को पूरा किया.

इस कैम्प में बछेंद्री को ब्रिगेडियर ज्ञान सिंह ने बतौर इंस्ट्रक्टर पहली नौकरी दी थी.

पर्वतारोहण का पहला मौक़ा

बछेंद्री के लिए पर्वतारोहण का पहला मौक़ा 12 साल की उम्र में आया, जब उन्होंने अपने स्कूल की सहपाठियों के साथ मीटर की चढ़ाई की.

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यह चढ़ाई इन्होंने किसी योजनाबद्ध तरीके से नहीं की थी. दरअसल वे स्कूल पिकनिक पर गई हुए थीं और उसी दौरान पहाड़ पर चढ़ती गईं और शिखर तक पहुँचते-पहुँचते शाम हो गई. जब लौटने का खयाल आया तो पता चला की उतरना सम्भव नहीं है. ज़ाहिर है, रातभर ठहरने के लिये उन के पास पूरा इंतज़ाम नहीं था. बगैर भोजन और टैंट के इन्होंने खुले आसमान के नीचे रात गुजार दी.

एवरेस्ट अभियान

वर्ष में भारत का ‘चौथा एवरेस्ट अभियान’ शुरू हुआ.

दुनिया में अब तक सिर्फ 4 महिलाएं ही  एवरेस्ट की चढ़ाई में कामयाब हो पाई थीं. इस अभियान में जो टीम बनाई गई उसमें बछेंद्री के साथ  7 महिलाओं और 11 पुरुषों को भी शामिल किया गया था. इस टीम ने 23 मई, के दिन 1 बजकर 7 मिनट पर 29, फुट (8, मीटर) की ऊंचाई पर स्थित &#;सागरमाथा’ (एवरेस्ट) पर भारत का झंडा लहराया. इस के साथ ही ये एवरेस्ट पर सफलता पूर्वक क़दम रखने वाली दुनिया की 5वीं महिला बनीं.

पर्वतारोहण के क्षेत्र में इनका योगदान

बछेंद्री पाल ने वर्ष के एवरेस्ट पर्वतारोहण अभियान में पुरुष पर्वतारोहियों के साथ शामिल होकर एवं सफलता पूर्वक संसार की सबसे ऊंची चोटी ‘माउंट एवरेस्ट’ पर पहुंचकर भारत का राष्ट्रीय ध्वज लहराया और एवरेस्ट पर विजय पाई.

उनकी इस सफलता ने आगे भारत की अन्य महिलाओं को भी पर्वतारोहण जैसे साहसिक अभियान में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया. ये भारत की पहली महिला एवरेस्ट विजेता हैं तथा देश-विदेश की महिला पर्वतारोहियों के लिए प्रेरणा की श्रोत भी हैं.

बछेंद्री पाल वर्तमान में &#;टाटा स्टील&#; इस्पात कंपनी में कार्यरत हैं, जहाँ ये चुने हुए लोगों को पर्वतारोहण के साथ अन्य रोमांचक अभियानों का प्रशिक्षण देने का कार्य कर रही हैं.

आपदा राहत एवं समाज&#;सेवाकेक्षेत्रमेंयोगदान

‘माउंट एवरेस्ट’ पर फ़तह हासिल करने वाली पहली भारतीय महिला बछेंद्री पाल की शख्सियत का एक दूसरा पहलू भी हमें जून, में उत्तराखंड की प्राकृतिक आपदा के दौरान देखने को मिला.

जब इन्होंने वहां के लोगों को बचाने तथा राहत पहुंचाने में सशक्त भूमिका निभाई. इस आपदा में से ज्यादा लोग मारे गए, सड़कें ध्वस्त हो गईं, गांव के गांव मुख्य धारा से कट गए थे. इस संकट की घडी में 59 वर्षीय बछेंद्री पाल ने अपनी टीम के साथ, ट्रैकिंग के अपने हुनर और पहाड़ी इलाकों की गहन जानकारी का उपयोग करते हुए लोगों की जान बचाने और मुख्य धारा से कट चुके दूर-दराज के इलाकों तक राहत सामग्री पहुंचाने में अपना अमूल्य योगदान दिया.

बछेंद्री पाल ने इससे पहले भी कई आपदाओं में राहत और बचाव कार्य में बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया है.

वर्ष में पहली बार राहत कार्य के लिए ये गुजरात गई थी. जहां आए भयंकर भूकंप से पीड़ित लोगों को अपने सक्षम वॉलंटियर पर्वतारोहियों की एक टीम की मदद से लगभग डेढ़ महीने तक अपनी सेवाएं दी और ज़रूरतमंद लोगों तक राहत पहुंचाई.

वर्ष में उड़ीसा में आए भयंकर चक्रवात ने बड़े पैमाने पर जान-माल का नुकसान पहुचाया था. वहां पर इन्होंने अपनी टीम के साथ सेवाएं दी और ज़रूरतमंद लोगों तक राहत पहुंचाई, लोगों के दाह संस्कार में भी मदद किया.

पुरस्कार एवं सम्मान  

भारतीय पर्वतारोहण फाउंडेशन द्वारा पर्वतारोहण में उत्कृष्टता के लिए वर्ष में स्वर्ण पदक प्रदान किया गया.

तत्कालीन केंद्र सरकार ने इन्हें वर्ष में ही अपने प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान ‘पद्मश्री’ से सम्मानित किया.

उत्तर प्रदेश सरकार के शिक्षा विभाग द्वारा इन्हें वर्ष में स्वर्ण पदक से नवाजा गया.

भारत सरकार ने इन्हें वर्ष में अपने प्रतिष्ठित खेल पुरस्कार &#;अर्जुन पुरस्कार&#; से सम्मानित किया.

इन्हें वर्ष में ‘कोलकाता लेडीज स्टडी ग्रुप अवार्ड’ से भी नवाजा गया.

इन्हें वर्ष में &#;गिनीज़ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स&#; में भी सूचीबद्ध किया गया.

भारत सरकार के द्वारा इन्हें वर्ष में &#;नेशनल एडवेंचर अवार्ड&#; प्रदान किया गया.

उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा वर्ष में इनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए &#;यश भारती&#; पुरस्कार से सम्मानित किया गया.

इन्हें वर्ष में हेमवती नन्दन बहुगुणा विश्वविद्यालय, गढ़वाल द्वारा पी-एचडी की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया.

मध्य प्रदेश सरकार के संस्कृति मंत्रालय ने वर्ष में इन्हें पहला &#;वीरांगना लक्ष्मीबाई&#; राष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया.